नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। मंगलवार को भारत, चीन और रूस के विदेशमंत्रियों के बीच हुई बातचीत में कई अहम बातें सामने निकल कर आईं. नाजियों पर रूस की जीत के 75 साल पूरे होने पर रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई. इससे पहले रूस के साथ ये मीटिंग 2017 में हुई थी उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थी.
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गलवान घाटी की घटना पर रूस का बयान
15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर रूस ने अपना नजरिया साफ करते हुए कहा कि “भारत और चीन को किसी बाहरी की मदद की जरूरत नहीं है. जब देश का मामला हो तो उन्हें कोई मदद नहीं चाहिए। हाल की घटनाओं के बारे में मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत और चीन इसे खुद सुलझा लेंगे.”
यह दो देशों का सीमा विवाद है और यह उनका आंतरिक मामला है. रूस को भरोसा है कि दोनों देश सूझबूझ के साथ अपने इस विवाद को जल्द ही सुलझा लेंगे.
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17 जून को फोन पर हुई जयशंकर की वांग ई से बात
15 जून को गलवान घाटी पर हुई झड़प में भारत के 20 जवानों ने शहादत दी थी वहीं अब चीन ने भी मान लिया है कि उसके यहां भी सैनिकों की मौत हुई है. इन सबके बीच अब LAC पर तल्खी अलग स्तर पर पहुंच गई है. इस पर 17 जून को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने और चीन के वांग ई ने एक-दूसरे से फोन पर बात की जिसमें LAC पर हुए विवाद को लेकर काफी देर तक बातचीत होती रही. हालांकि, आज झड़प के बाद पहली बार जयशंकर और वांग ई वर्चुअल मीटिंग के दौरान आमने-सामने आए और मामले पर चर्चा की. वहीं आज विदेश मंत्रालय की तरफ से यह सूचना मिली है कि भारत और चीन की दोनों सेनाएं सीमा से पीछे हटेंगी.