कांग्रेस में बगावत के सुर, क्या ये कांग्रेस के टूटने के संकेत हैं.?

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Rebellion notes in Congress

नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी CWC ने 24 अगस्त को अपने सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ऑनलाइन बैठक की। सोमवार को हुई 7 घंटे की बैठक में 23 नेताओं की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे गए पत्र पर घमासान बहस हुई। जिसमें गांधी परिवार समेत नेताओं के बहसों की उठापटक की आवाज ट्विटर हैंडल तक सुनाई दी। किसी ने बोला की समिति का पुन:र्गठन होना चाहिए, तो किसी ने इस्तीफा देने तक की बात बोल डाली। बैठक में हुए घमासान अंतरयुद्ध की चर्चाएं बाहर तक सुनाई दी। साथ ही परिवारवाद में भी अपना किरदार निभाने में जरा भी कसर नहीं छोड़ी। तो आइए जानते हैं कि बैठक के दौरान ऐसी क्या बातें हुई जिससे नेताओं के बीच इतना रोषपूर्ण माहौल बना रहा.

CWC की बैठक में हुई घमासान बहस

24 अगस्त को हुई CWC की बैठक में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। पत्र में कांग्रेस समिति के पुन:र्गठन व देश में पार्टी की हालातों के बारे में विचार करने की बात लिखी गई थी। ऐसे में राहुल गांधी ने नेताओं पर असमय पत्र लिखकर भेजने पर नाराजगी जताई। उनके अनुसार जिस वक्त पत्र भेजा गया उस समय सोनिया गांधी बीमार थीं। उन्होंने पत्र के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जब कांग्रेस मध्य प्रदेश और राजस्थान के सियासी संकट का सामना कर रही थी, जब अध्यक्ष बीमार थीं। तब ही चिट्ठी क्यों भेजी गई।” राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर कई नेताओं ने आपत्ति जताई।

राहुल से नाराज इस नेता ने इस्तीफा देने को कहा

सूत्रों के हिसाब से पत्र पर घमासान बहसों के दौरान जब राहुल गांधी ने बीजेपी के ग्रुप बी होने जैसा गंभीर आरोप कुछ नेताओं पर मढ़ा तो बैठक में मौजूद 23 नेताओं में से चार नेता नाराज होकर ऑफलाइन हो गए। जिसमें आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद का नाम बताया जा रहा है। साथ ही इस बात पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से लगाया गया ये आरोप गुलाम नबी आजाद को भी चुभ गया। जिसके बाद उन्होंने ये कहा कि “राहुल गांधी बीजेपी से मिली भगत का आरोप साबित करें, तो आज ही इस्तीफा दे दूंगा।” ये तो गुलाम नबी आजाद का पक्ष था, लेकिन इतने में ही गांधी परिवार की एक और सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी न आव देखा न ताव और नबी साहब को जबरदस्त सुना दिया।

राहुल पर कपिल सिब्बल का विरोधी ट्वीट

राहुल गांधी के बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल खफा हो गए और पलटवार करने लगे। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बैठक के दौरान ही ट्वीट किया। कपिल सिब्बल ने बीजेपी से मिली भगत के आरोप को बेबुनियाद बताया और कहा कि “30 वर्षों में कभी भी बीजेपी के पक्ष में बयान नहीं दिया।” जिसके बाद बैठक के बीच ही राहुल गांधी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए उनको फोन कर गिला शिकवा दूर करने की कोशिश की। इसके थोड़ी देर बाद कपिल सिब्बल ने अपने टि्वटर हैंडल से वह ट्वीट डिलीट कर दिया। उससे पहले कांग्रेस की तरफ से बोला गया कि राहुल गांधी ने बैठक में बीजेपी के बारे में कुछ भी नहीं बोला। लेकिन सच्चाई टि्वटर हैंडल पर ट्वीट करते समय ही दिख गई थी।

नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी का सुझाव दिया

CWC की बैठक के दौरान अहमद पटेल ने कहा कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालना चाहिए। उनकी इस बात का समर्थन करके राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद पर आसक्त होने का प्रस्ताव रखा। इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने का सुझाव दिया। इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी को एआईसीसी की बैठक तक कम से कम पद पर रहना चाहिए। एआईसीसी की बैठक में पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने एआईसीसी की बैठक का सुझाव दिया है। सूत्रों ने कहा कि ‘बगावती पत्र’ पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं ने संकट को कम करने के लिए सोनिया गांधी से मिलने की कोशिश की थी। लेकिन उनसे कहा गया कि राहुल गांधी उनसे मुलाकात करेंग।

बीजेपी के आने के बाद कांग्रेस हुई कमजोर

2014 से पहले बीजेपी के सिर्फ 7 राज्यों में सरकार रही। जिसमें से दो गठबंधन की सरकार रहीं। वहीं, कांग्रेस की 13 राज्यों में सरकार रही। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने अपने दम या सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई। 2016 में बीजेपी ने असम में इतिहास रचा और कांग्रेस के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया। इसके बाद 2017 में 7 राज्यों में बीजेपी ने यूपी, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में सरकार बनाई। जबकि कांग्रेस ने पंजाब में अपना खाता खोला। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के रूप में अपने बड़े राज्य गंवाने पड़े और यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की।


इसके बाद हालात बदलते चले गए और 2018 के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बीजेपी की सत्ता उखाड़ फेंकी। इन तीनों राज्यों में मिली जीत ने कांग्रेस को बड़ी ताकत दी। इसी साल की शुरुआत में उसने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से अपना समर्थन वापस ले लिया, इस तरह वहां उसकी सरकार चली गई। तो सब मिलाकर कांग्रेस अब पांच राज्यों और संघ शासित राज्य में सरकार चला रही है। जबकि बीजेपी का ग्राफ नीचे आया है।

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