नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। (Rahasya) माता सीता पर बुरी नजर रखने वाला लंकापति रावण बेहद ही महान योद्धा और ज्ञानी था. हम सभी यह जानते हैं कि रावण बहुत पराक्रमी था. उसने अपने पूरे जीवन में अनेकों युद्ध लड़े और कई यदि जीते भी. इतना पराक्रमी होने के बाद भी उसका सर्वनाश कैसे हो गया? रावण के अंत का कारण श्रीराम सिर्फ एक अकेले ही वजह नहीं थे. उनके साथ उन लोगों का श्राप भी था, जिनका रावण ने कभी अहित किया था. ये 6 श्राप उसके सर्वनाश का कारण बने और उसके वंश का नाश हो गया.
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माया से मिला था श्राप
ग्रंथों के अनुसार रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ छल किया था. कहा जाता है कि माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे. एक दिन रावण माया के घर गए. वहां रावण ने माया पर बुरी नजर डाली. इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया. उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया. और उस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई. अपने पति की मृत्यु के दुख में माया ने रावण को श्राप दिया कि तुम भी स्त्री की वासना के कारण मारे जाओगे.
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तपस्विनी से मिला श्राप
(Rahasya) एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था. तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पाने के लिए तपस्या कर रही थी. रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा. उस तपस्विनी ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी.
भाई के पुत्र ने दिया था श्राप
विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी. अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने उसे पकड़ लिया. तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं. इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं. लेकिन रावण नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श करेगा तो रावण का मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएंगे.
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बहन द्वारा मिला श्राप
आपको बता दें कि (Rahasya) रावण की बहन सूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था. रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ. उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया. तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा.
नंदी से मिला था श्राप
एक बार रावण भगवान शंकर से मिलने कैलाश गए. वहां मौैजूद नंदीजी जो भगवान शंकर के भक्त थे ही साथ ही उनके सबसे करीबी सेवक भी थे. रावण जब कैलाश पहुंचे औैर नंदीजी को देखा तो उनके स्वरूप का मजाक बनाया. खूब हंसी उड़ाने के बाद उन्हें बंदर के समान मुख वाला कह दिया. तब नंदीजी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा.
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