नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि मां दुर्गा ने महाकाली का रूप राक्षसों और दैत्य का अंत करने के लिए लिया था. और वह मां काली के रूप में प्रकट हुई थी. इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि मां दुर्गा महाकाली का यह रूप मां पार्वती का ही हिस्सा है.
क्यों लिया महाकाली का रूप
माता का यह रूप इतना शक्तिशाली और डरावना था कि स्वयं काल भी भय खाता था. उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता था कि कोई भी शक्ति उनके क्रोध की शांत नहीं कर सकती थी. उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आ कर लेट गए थे. शास्त्रों में एक कथा प्रचलित हैं.
एक बूंद खून से अनेकों दैत्य का जन्म
कथाओ के अनुसार दैत्य को आशीर्वाद था कि अगर उसकी एक खून की बूंद गिरती है तो वहां अनेकों दैत्य का जन्म हो जाएगा. अपनी उसी शक्ति का प्रयोग कर उन्होंने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था. उसके बाद मां काली युद्ध के लिए उत्पन हुई.
भयंकर युद्ध का आगाज हुआ. मां काली ने राक्षसों का वध करना आरम्भ किया लेकिन रक्तबीज के खून की एक भी बूंद धरती पर गिरती तो उस से अनेक दानवों का जन्म हो जाता जिससे युद्ध भूमी में दैत्यों की संख्या बढ़ने लगी. उसे देखते हुए अब एक एक बूंद धरती पर गिरने की बजाय उनकी जिह्वा पर गिरने लगा. और धीरे धीरे दानवों की संख्या कम होती गई लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विक्राल रूप से चुका था की उनको शांत करना जरुरी था मगर हर कोई उनके समीप जाने से भी डर रहा था. फिर भगवान् शिव ने उन्हें बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश की लेकिन फिर भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो वह मां काली के मार्ग पर आकर लेट गए . जब उनके चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह एकदम से रुक गई. उनका क्रोध शांत हो गया.