पहली बार सावन में पड़ रहा “शनि प्रदोष व्रत”, जानिए क्या महत्व है शनि प्रदोष व्रत का?

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नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। 5 जुलाई से शुरू हुए श्रावण मास में सभी लोग शिव की भक्ति में रम जाते हैं। माना जाता है कि श्रावण मास भगवान शंकर का प्रिय महीना है। इस पूरे महीने देश के कई हिस्सों शिवालयों में भयंकर भीड़ रहती हैं। सभी शिवभक्त श्रावण मास को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। माना जाता है कि इस पूरे महीने जो भी भगवान शिव के ऊपर जल या दूध चढ़ाता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं।

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कहते हैं की श्रावण मास में अगर प्रदोष व्रत किया जाए तो यह व्रत बहुत पूर्णदायी होता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी दुख दर्द नष्ट हो जाते हैैं। पर इस बार विद्वानों ने बताया है कि 2020 के श्रावण महीने में पढ़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस प्रदोष व्रत को करने से शनि के प्रकोप से परेशान रहने वाले व्यक्तियों को बहुत राहत मिल सकती है। तो आइए जानते हैं कि क्या है शनि प्रदोष व्रत का महत्व।

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शनि प्रदोष व्रत का महत्व

2020 के श्रावण मास में ऐसा पहली बार हुआ है की शनिवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा हो। इस बार श्रावण मास में दो बार शनिवार को प्रदोष व्रत पड़े हैं। पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई, शनिवार को है, वहीं दूसरा 1 अगस्त शनिवार को पड़ रहा है। इस बार के प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माने गए हैं। शास्त्र विद्वानों का कहना है की शनिवार को पड़ रहे “शनि प्रदोष व्रत” को करने से पूरे वर्ष की शिव पूजा का फल प्राप्त होगा और साथ ही शनि के साढ़ेसाती, शनि के ढैइया जैसे प्रकोप भी शांत होंगे।

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