भारत के ऐसे 6 मंदिर जहां महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है, जाने क्यों?

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नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। भारत में कई देवी देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर हैं. जो कई रहस्य को अपने अंदर समेटे हुए हैं. वैसे तो एक तरफ भारतीय समाज में महिलाओं की पूजा देवी के स्थान पर की जाती है और वहीं उन्हें इन मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. यहां स्त्रियों के पूजा के जुमले हैं, लेकिन उन्हें कई धार्मिक स्थलों में जाने पर मनाही है. हर क्षेत्र में बराबरी के हक पर अड़ी स्त्रियां मंदिरों के बाहर लगे ‘प्रवेश वर्जित’ के नियम को मानने से इंकार कर रही है. आपको बता दें कि आज 21वीं सदी में भी हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. इन मंदिरों में केवल पुरुष को ही प्रवेश कि इजाज़त है. भारत देश में आज भी कई मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. आज भी लोग इसके पीछे के कारण को नहीं दुढ़ते, मान्यता है, यहीं सोच कर चली आ रही है. आज हम आपको भारत के ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताएंगे.

पद्मनाभ स्वामी मंदिर

केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ भगवान विष्णु को समर्पित है. इस मंदिर में महिलाएं पूजा पाठ तो कर सकती हैं, लेकिन उनके खज़ाना घर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. हालंकि मंदिर प्रशासन के इसकी कोई ठोस वजह नहीं है. यहां पर महिलाएं बहार से ही लौट जाती हैं.

कार्तिकेय मंदिर

हरियाणा के पिहोवा में भगवान कार्तिकेय मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां भगवान के ब्रह्मचारी स्वरूप की पूजा की जाती है. इसी वजह से इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. मान्यता है कि अगर कोई भी महिला इस मंदिर में प्रवेश भी कर ले तो उसे श्राप मिल जाता है.

जैन मंदिर

राजस्थान का रनकपुर का जैन मंदिर स्थित है. यह मंदिर 5 जैन तीर्थों में से एक कहा जाता है, जो 15वीं शताब्दी में बना था. कहा जाता है कि मासिक धर्म के समय किसी भी महिला का प्रवेश यहां निषेध है. इतना ही नहीं मंदिर में जाने से पहले हर एक महिला को एक जरूरी काम करना होता है. जिसके तहत उन्हें अपनी टांगों को घुटनों के नीचे तक अच्छी तरह से ढकना होता है.मंगल चंडी मंदिर यह मंदिर झारखंड में स्थित है. मंगल चंडी के रूप में मां दुर्गा का यह मंदिर बोकारो जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर कसमार प्रखंड के टांगटोना पंचायत अंतर्गत कुसमाटांड गावं में स्थित है. मंदिर से 100 फीट की दूरी पर एक सीमा तय की गई है, जिसके आगे महिलाएं नहीं जा सकती. महिलाएं यहीं पर देवी मां की पूजा-अर्चना कर वापस लौट जाती हैं.

शनि शिंगणापुर

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में भी महिलाएं अंदर जाकर दर्शन नहीं कर सकती हैं. उन्हें बाहर से दर्शन करने का नियम बना है. यहां पर भी काफी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं. वहां पर बनी इस परंपरा को कई बार महिलाओं ने तोडऩे का प्रयास किया. इसके लिए उन्होंने काफी बड़ी रैली आदि निकाली, लेकिन असफल रहीं.

पतबाउसी सत्रा

यह मंदिर असम में स्थित जाता है. कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में संत और दार्शनिक श्रीमाता शंकरदेव ने पतबाउसी सत्रा मंदिर की स्थापना की थी. इसके बाद असम के पतबुआसी सत्रा आश्रम में महिलाओं के प्रवेश को वर्जित करने का नियम लागू किया गया.

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