17 मई को देश में लाॅकडाउन 4.0 को कुछ आवश्यक गाइडलाइंस के साथ लागू किया गया, पर पिछले 2 महीने से घर में बंद नागरिकों ने इस फैसले पर असंतोष जताया, पर हमारे देश की जनसंख्या के कारण यह लाॅकडाउन अनिवार्य है क्योंकि जिस तरह भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है उसे देखते हुए अभी देश में लाॅकडाउन की स्थिति बनाए रखना अति आवश्यक है। अगर इस महामारी में अगर जरा सी ढील दी जाती है तो लाखों लोगों की जान जा सकती है। एक्सपर्टस ने जल्द लाॅकडाउन के फैसले को लेकर सरकार की सराहना भी की है।
सरकार प्रति लाॅकडाउन के साथ कुछ न कुछ छूट भी लाती है, क्योंकि कहीं न कहीं इस लाॅकडाउन के कारण हमारी अर्थ व्यवस्था भी प्रभावित हुई है, पर सरकार भी इस महामारी के सामने मजबूर हैं क्योंकि अभी तक इस महामारी की कोई वेक्सीन नहीं बन पाई है। इससे निपटने के लिए ‘ सोशल डिस्टेंसिंग ‘ ही एकमात्र उपाय है, जो सिर्फ लाॅकडाउन के रहने से ही संभव है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें सभी ही निरंतर अच्छी से अच्छी सुविधा मुहैया कराने में जुटी हुई हैं तथा सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने कई लोक कल्याण योजनाएं भी निकालीं हैं जिससे निम्न, निम्न मध्यम, मध्यम और औधोगिक वर्गों को ऐसी स्थिति में कुछ आर्थिक मदद मिल सकें। सरकार और डॉक्टरों के साथ-साथ देश के जागरूक नागरिक भी अपना पूर्ण सहयोग देने में लगे हुए हैं, जैसे कि मजदूरों को तथा रोड़ किनारे रहने वाले लोगों को खाना खिलाना, मास्कों और सेनेटाइजरस का वितरण, भूखे जानवरों को खाना खिलाने इत्यादि जैसे मानवता पूर्ण कार्य करने में लगे हुए हैं। और जब तक वेक्सीन का निर्माण नहीं हो जाता तब तक सरकार के द्वारा निर्धारित नियमानुसार ही हमें लाॅकडाउन का पालन करना होगा क्योंकि इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
जैसा कि हम सब ही जानते हैं दिसंबर में चीन के वुहान शहर से फैला यह भयानक वाइरस आज विश्व के कई देशों को अपने गिरफ्त में ले चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई शक्तिशाली देश भी इस महामारी से अपना पीछा छुड़ाने में असमर्थ रहे हैं। सही वक्त पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न कराने के कारण अमेरिका, इटली, फ्रांस जैसे ऐसे कई देश हजारों की संख्या में अपने नागरिकों को खो चुके हैं। जो की काफी दुखद है। कोरोना वायरस जैसी महामारी से लडने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही एकमात्र उपाय है क्योंकि संक्रमण की चेन को तोड़कर ही हम अपने देश को अमेरिका और इटली जैसे हालातों से बचा सकते हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
आर्ची तिवारी