जब चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती और सैकड़ों राजपूत महिलाओं ने किया जौहर

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नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। 25 जुलाई 2018 जो जब ऐतिहासिक फिल्म पद्मावत रिलीज़ हुई थी जब लोगो के मन में राजस्थान को लेकर दिलचस्पी बढ़ गई थी. संजय लीला भंसाली की यह फिल्म देशभर में विरोध होने के बाद आखिरकार रिलीज हो गई थी. और इस फिल्म को लोगों ने बहुत पसंद भी किया. जैसा कि हम सब जानते हैं कि राजस्थान का अलग ऐतिहासिक महत्व है. पद्मावत फिल्म में जौहर का दृश्‍य लोगों का दिल छू गया. इस फिल्म के बाद राजस्थान में चितौड़गढ़ का किला सुर्खियों में छा गया है.
इस फिल्म के आखि़र में रानी पद्मिनी ने अपनी आन,बान और शान के लिए सैकड़ों राजपूत महिलाओं के साथ जौहर करके अपने प्राण त्‍याग दिए थे. अब कहा जाता है कि यह जगह उसके बाद डरावनी बन गई. जहां आज भी लोग नहीं जाते.

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पद्मावती के बलिदान से जाना जाता है किला

रानी पद्मावती बेहद खूबसूरत और साहस से सम्पूर्ण थी. शायद ही प्राचीन इतिहास में कोई इतनी खूबसूरत की मल्लिका होगी. लेकिन किसी को क्या पता था कि रानी पद्मावती की खूबसूरती उनकी दुश्मन बनेगी और उन्हें त्याग करना पड़ेगा. अगर इस कुंड के इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि इस कुंड में अब तक 3 बार जौहर किया गया है. सबसे पहली बार जहां रानी पद्मावती ने करीब 700 राजपूत महिलाओं के साथ जौहर किया था, उसी कुंड में राजपुताना आन की खातिर और 2 बार राजसी परिवार की महिलाएं अग्नि में समा गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार यहां लोगों को उन तड़पती आत्माओं की चीखें सुनाई देती हैं तो कोई जली हुई महिला देखने का दावा करता है.

किसने रची साज़िश?

चितौड़ के राजा रतनसेन ने दुनिया की अद्भूत खूबसूरत राजकुमारी पद्मावती से शादी हुई थी, राजा रतनसेन काफ़ी शूरवीर योद्धा थे और कहा जाता है कि उनकी पहले से ही 14 रानियां थी.
महल में गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्‍त एक कलाकार को राघव चैतन्‍य को राजा ने उसे तुरंत बर्खास्त किया. और गुस्से में राघव चेतन अलाउद्दीन खिलजी के पास जा पहुंचा. उसने खिलजी के मन में चित्तौड़ की संपत्ति को हथियाने की साजिश गढ़ी. साथ ही उसे रानी पद्मिनी का एक खूबसूरत चित्र भी दिखाया, जिसमें उन्होंने अपने हाथ में कमल का फूल थामा हुआ था. खिलजी रानी का चित्र देखते ही आकर्षित हो गया.
कुछ समय बीतने के पश्चात् अलाउद्दीन की बुरी नजर रानी पद्मिनी पर पड़ गयी और वो रानी पद्मिनी से विवाह करना चाहता था और इसके लिए उसने राजा के साथ युद्ध करने का फैसला किया और इस युद्ध में उसकी जीत हुई और राजा  रत्न सिंह की इस युद्ध में पराजित हुए और वीरगति को प्राप्त हो गये.

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सम्मान के लिए किया जौहर

वर्ष 1303 में युद्ध के बाद अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती के पास जाना चाह रहे थे लेकिन राजा की मौत की खबर महल के भीतर पहुंची, राजा की सभी रानियां एवं अन्य सैनिकों की पत्नियां भी रानी पद्मिनी की अगुवाई में जौहर कुंड की ओर बढ़ीं. यह कुंड महल के एक कोने में काफी गहराई में बना था. घने रास्ते से होते हुए सभी जौहर कुंड पहुंचीं. वहां स्नान किया और जौहर कुंड की अग्नि में कूद पड़ी.

जौहर प्रथा

रानी पद्मिनी और अनेकों राजपूतों महिलाओं के इस बलिदान के बाद से ही राजस्थान में ‘जौहर प्रथा’ काफी प्रचलित हुई. कहा जाता है कि यह प्रथा ठीक सती प्रथा की तरह ही है लेकिन इसका प्रयोग तब किया जाता था जब कोई राजा अपने शत्रु से युद्ध में शहीद हो जाए और अपने सम्मान को बचाने के लिए महल की स्त्रियां कुंड की अग्नि में खुद को न्योछावर कर देती थीं.

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