आरती कश्यप
परिचय
लता मंगेशकर भारतीय संगीत जगत की वह स्वर-साधिका थीं, जिनकी आवाज़ ने दशकों तक संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज किया। उन्हें ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जाना जाता था, और उनकी गायकी ने भारतीय सिनेमा और संगीत उद्योग को एक नई ऊँचाई दी। उनकी आवाज़ में जो माधुर्य, कोमलता और गहराई थी, वह उन्हें विश्व स्तर पर एक अनूठी गायिका बनाती है।
लता मंगेशकर न केवल एक गायिका थीं, बल्कि वह भारतीय संस्कृति, संगीत और सभ्यता की पहचान भी थीं। उनके गाए हुए गीतों ने पीढ़ियों को जोड़ा और हर पीढ़ी के संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा बनीं। उनकी मृत्यु एक युग का अंत है, लेकिन उनकी मधुर आवाज़ और गीत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन और संगीत का सफर
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनका परिवार संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ था। उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और थिएटर कलाकार थे। छोटी उम्र में ही लता जी ने संगीत की दुनिया में कदम रखा और अपने पिता से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
हालांकि, 1942 में जब वह मात्र 13 वर्ष की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके चलते उन्होंने गायकी को अपना पेशा बनाया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मराठी फिल्मों से की, लेकिन जल्द ही हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी अलग पहचान बना ली।
संगीत में योगदान और करियर की ऊँचाइयाँ
लता मंगेशकर का करियर छह दशकों से अधिक चला और उन्होंने 30,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए। उनके गाए हुए गीतों ने कई पीढ़ियों के दिलों को छू लिया। उनका करियर 1940 के दशक में शुरू हुआ और 1950-60 के दशक तक वे भारतीय फिल्म संगीत की सबसे प्रमुख आवाज़ बन गईं।
प्रमुख गीत और उनकी लोकप्रियता
- आएगा आने वाला (महल, 1949) – इस गाने ने लता जी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई।
- प्यार किया तो डरना क्या (मुगल-ए-आज़म, 1960) – मधुबाला पर फिल्माया गया यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर है।
- अजी रूठ कर अब कहाँ जाइएगा (आरज़ू, 1965) – मोहम्मद रफी के साथ उनका यह गीत अमर है।
- लग जा गले (वो कौन थी, 1964) – यह गीत उनकी सबसे भावुक प्रस्तुतियों में से एक माना जाता है।
- ए मेरे वतन के लोगों (1963) – इस देशभक्ति गीत ने देशभर में भावनाओं की लहर दौड़ा दी।
- तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं (आंधी, 1975) – यह गीत उनकी गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाता है।
लता मंगेशकर को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- भारत रत्न (2001) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- पद्म भूषण (1969) और पद्म विभूषण (1999) – कला के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए।
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989) – भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित।
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के रूप में तीन बार।
- फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड – बॉलीवुड में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए।
- गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड – सबसे अधिक रिकॉर्ड किए गए गानों के लिए।
लता मंगेशकर और भारतीय संगीत उद्योग
लता मंगेशकर ने भारतीय संगीत को एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया। उनकी आवाज़ हर संगीत निर्देशक, गीतकार और अभिनेता के लिए प्रेरणा थी। उन्होंने एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, नौशाद, और शंकर-जयकिशन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया।
उनकी बहन आशा भोसले भी एक प्रसिद्ध गायिका हैं, और दोनों बहनों ने मिलकर भारतीय संगीत को समृद्ध किया। लता जी का संगीत सिर्फ हिंदी सिनेमा तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, तमिल, तेलुगु, पंजाबी और कई अन्य भाषाओं में भी गाने गाए।
लता मंगेशकर की प्रेरणादायक विरासत
- युवाओं के लिए प्रेरणा – उनकी संगीत साधना और समर्पण नए कलाकारों के लिए एक आदर्श है।
- भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व – उनकी आवाज़ भारतीय संस्कृति की धरोहर बन गई।
- संगीत उद्योग में बदलाव – उनकी गायकी ने भारतीय फिल्म संगीत के मानकों को ऊँचा किया।
अंतिम समय और दुनिया से विदाई
लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वे 92 वर्ष की थीं और कोविड-19 और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मृत्यु से पूरा भारत शोक में डूब गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, और बॉलीवुड की कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मुंबई में उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ किया गया। हजारों प्रशंसकों ने उनकी अंतिम यात्रा में भाग लिया और सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई।
लता मंगेशकर भारतीय संगीत की आत्मा थीं। उनकी मधुर आवाज़, उनकी साधना, और उनका योगदान भारतीय संगीत को हमेशा एक नई पहचान देता रहेगा। वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनका संगीत अमर रहेगा।
वे एक सदी तक भारतीय सिनेमा और संगीत की पहचान बनी रहीं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगी। उनकी विरासत को संजोकर रखना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाले समय में भी उनका संगीत और उनकी मधुर आवाज़ हमारे दिलों में गूंजती रहे।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि! 🙏