नई दिल्ली/पूजा शर्मा। दुनियाभर में कोरोना वायरस के आकंड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. वैज्ञानिकों ने ऐसे वालंटियरों के बीच तुलना की है जिन्हें बीसीजी का टीका लगाया गया था और जिन्हें यह टीका नहीं लगा था. ऐसे में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान बीसीजी का टीका लगे लोग बार-बार बीमार नहीं पड़े या ज्यादा गंभीर बीमार नहीं हुए.
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बीसीजी टीका होगा कोरोना में कारगर
नीरदलैंड में रैडबाउड यूनिवर्सिटी समेत अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों के मुताबिक बीसीजी की वैक्सीन मूल रूप से तपेदिक (टीबी) के इलाज के लिए थी, लेकिन बाद में प्रतिरक्षा प्रणाली को दीर्घकालिक मजबूती देने में कारगर साबित हुई. हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि इस अध्ययन की सीमाएं हैं जो कोविड-19 के खिलाफ बीसीजी वैक्सीन के लाभों का निष्कर्ष निकालने से रोकती है.
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ICMR बीसीजी टीके का करेगा अध्ययन
बता दें कि इससे पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने घोषणा की थी कि वह इस बारे में अध्ययन करेगी कि टीबी के खिलाफ उपयोग किया जाने वाला बीसीजी टीका क्या कोरोना वायरस संक्रमण को रोक सकता है. आइसीएमआर के एक वैज्ञानिक ने कहा कि यह अध्ययन तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में 60 से अधिक उम्र के करीब 1,500 स्वस्थ स्वयंसेवकों पर किया जाएगा.
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