भारत-चीन के बीच बढ़ती तल्ख़ी का कारण, पढ़ें LAC विवाद पर संपूर्ण विश्लेषण

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नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। अभी हाल ही में हुई भारत और चीन की बैठकों में सीमा विवाद को लेकर कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल सका। लगातार भारत और चीन के बड़े-बड़े अधिकारी समझौते को लेकर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन सैन्य अधिकारियों एवं विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई सामंजस्यता का बयान नहीं आया। गुरुवार को हुई मीटिंग में भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। लगातार भारत और चीन के बीच बढ़ते विवाद को लेकर नई नई बातें सामने आ रही हैं, जिससे लोगों के मन में शंका उत्पन्न हो रहीं हैं। आखिर क्यों बार-बार चीन भारत की सीमा में घुसपैठ करता है? क्यों चीन भारत को “दरबुक” से “दौलत बेग ओल्डी” के बीच की रोड बनाने में अटकलें डाल रहा है? तो आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में.

मई महीने में कई जगह हुई घुसपैठ

पैंगोंग लेक के आलावा LAC की अन्य सीमाओं पर भी घुसपैठ हुई। आपको बता दें कि 9 मई को नाथुला पास में पथराव हुआ। इसी बीच चीन ने गलवान घाटी में चीनी ट्रूप्स भी देखने को मिले, जिसमें चीनी सेना अधिक मात्रा में पाई गई। चीन ने डोगरा पोस्ट और दौलत बेग ओल्डी पर भी घुसपैठ की। इन सभी के चलते दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई। लेकिन झड़प में देश ने 20 जवानों को खो दिया। वहीं बात आगे बढ़ते देख 6 जून को मोल्डो में दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल ने मीटिंग की। लेकिन मीटिंग के बाद भी समझौते का कोई अंश नहीं दिखा। मई में हुए इस घातक हमले के बाद अभी तक लगातार दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बना हुआ है। और लगातार दोनों देशों के सैन्य अधिकारी इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई सामंजस्यता नहीं स्थापित हो पाई है

भारत-चीन का सीमा विवाद

5 मई को चीन ने पैंगोंग लेक के फिंगर-4 (Finger-4) की तरफ आने की कोशिश की। जिसको LAC में भारत की सीमा कहा जाता है। हालांकि, पैंगोंग लेक के ऊपर स्थित 8 पहाड़ियों से LAC निर्धारित होती है। जिनको फिंगर्स के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि भारत फिंगर-7 तक अपनी जमीन का दावा करता है। तो वहीं चीन फिंगर-4 तक अपनी जमीन बताता है। इसीलिए इन 8 फिंगर्स में फिंगर-5,6,7 विवादित रहते हैं। भारतीय सेना और चीनी सेना लगातार यहां पर गश्त बनाए रखती है। वहीं 5 मई को चीन के तरफ से घुसपैठ को लेकर दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प हो गई। बता दें कि कोरोना वायरस के चलते भारतीय सैनिकों को घाटियों में कम गश्त करने के निर्देश दिए गए थे। जिसका फायदा उठाते हुए चीनी सेना ने भारतीय सीमा के अंदर घुसपैठ करने की कोशिश की‌।

1962 में हो चुका है भीषण युद्ध

चीन ने “मैंककार्टनी मैकडॉनल्ड लाइन” का हवाला देकर अपनी बात साबित करनी चाही। जिसको नकारते हुए भारत ने अक्साई चीन पर रोड बनाने का विरोध किया। जिसके बाद 1962 में चीन और भारत के बीच भीषण युद्ध हुआ। जिसमें हजारों सैनिकों ने अपनी जान गवाई। लेकिन चीन की ताकत के सामने भारत को पीछे हटना पड़ा। तब दोनों देशों में समझौता हुआ कि दोनों देशों की सेनाएं जहां पर तैनात हैं वहीं से LAC खींची जाएगी।

LAC के सबसे ज्यादा विवादित स्थान

LAC की सीमाएं लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से मिलती हैं। जिसके कारण इन राज्यों की सीमाओं पर हमेशा विवाद बना रहता है। इनमें भी सबसे ज्यादा विवाद लद्दाख के गलवान घाटी और पैंगोंग लेक में देखने को मिलता है। बता दें कि चीन गलवान घाटी पर अपना दावा करता है। वहीं, पैंगोंग लेक पर अभी तक LAC की सीमा निर्धारित नहीं हो सकी है।

LAC का इतिहास

सन 1847 में “एंगलो सिख युद्ध” के बाद ब्रिटिशर्स ने जम्मू-कश्मीर में कब्जा कर लिया। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के राजा गुलाब सिंह ने 75 लाख रुपए में जम्मू-कश्मीर को दोबारा खरीद लिया। लेकिन इसके बावजूद शासन ब्रिटिश का ही रहा। वहीं 1865 British में ब्रिटिश इंडिया के सिविल सर्वेंट WH Johnson ने जॉनसन लाइन (Johnson Line) की प्रस्तावना चीन के सामने रखी, जिसमें अक्साई चीन जम्मू-कश्मीर का हिस्सा माना गया था। लेकिन चीन ने प्रस्तावना पर कोई रूचि नहीं दिखाई।
उस समय अक्साई चीन की सीमा “शिंजियांग प्रांत” से लगती थी। जो कि एक स्वतंत्र प्रांत होने के कारण उस समय कोई विवाद उत्पन्न नहीं हुआ। वहीं चीन की भी रूचि न देखने से भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ा और उसने इसी लाइन को देश की सीमा मान ली। लेकिन 1978 में जब चाइना ने शिंजियांग प्रांत पर कब्जा किया, तब वह “जॉनसन लाइन” पर रूचि दिखाने के साथ-साथ कब्जा करने की कोशिश करने लगा।

ब्रिटिशर्स ने दूसरी बार सीमा का प्रस्ताव रखा

सन 1899 में ब्रिटिश काउंसिल “जॉर्ज मैंककार्टनी” ने दूसरी बार सीमा का प्रस्ताव रखा। जिसको चीन तक पहुंचाने का काम “कैलेंडे मैकडॉनल्ड” ने किया। जिसके बाद उस लाइन का नाम “मैंककार्टनी मैकडॉनल्ड लाइन” पड़ गया। लेकिन इस पर भी चीन ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वहीं जब चीन अपनी सीमा को मजबूत करने के लिए और तिब्बत पर कब्जा करने के लिए “शिंजियांग-तिब्बत रोड” बनाने की कूटनीति अपनाई। जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया। भारत ने दावा किया कि “जॉनसन लाइन” के अनुसार अक्साई चीन का हिस्सा भारत का है। जिसको नकारते हुए चीन ने 1959 में प्रस्तावित “मैंककार्टनी मैकडॉनल्ड लाइन” को मान लिया

चीन ऐसा क्यों कर रहा है?

चीन के भारत की सीमा में घुसपैठ करने के दो कारण हो सकते हैं-

  1. भारत LAC के पास सैन्य निर्माण कर रहा है। जिसमें भारत “दौलत बेग ओल्डी” को “दरबुक” से एक रोड के माध्यम से जोड़ना चाहता है। काराकोरम दर्रा पर बड़े-बड़े ग्लेशियर होने के कारण सेना को आने-जाने में दिक्कत होती है। वहीं इस रोड के बन जाने से सेना को सीमा तक पहुंचना और आवश्यक सामग्री पहुंचाना बहुत सहज हो जाएगा। इसी के साथ LAC पर भारतीय सेना की स्थिति भी मजबूत होगी। “दौलत बेग ओल्डी” विश्व के सबसे ऊंची स्थित हवाई पट्टी है। इस पट्टी का निर्माण 1962 में हुआ लेकिन 1965 से 2008 तक ये इनएक्टिव अवस्था में रही। अब 2008 के बाद से इसको फिर से शुरू किया गया। यह हवाई पट्टी सियाचिन ग्लेशियर और LAC के बहुत पास है। इसकी वजह से भारतीय सेना POK और LAC पर आसानी से नजर बनाए रखने में मदद मिलती है। इसलिए भारतीय सेना इसे “लेह” से जोड़ना चाहती है। लेकिन चीन भारत को सीमा पर मजबूत स्थिति में नहीं देखना चाहता है, जिसके कारण वह लगातार घुसपैठ कर भारत का ध्यान भंग कर और रोड बनाने का विरोध कर रहा है।
  2. दूसरा कारण यह हो सकता है कि 2017 में भारत ने सिक्किम के पास स्थित डोकलाम में चीन को रोड बनाने का विरोध भारत ने किया था। शायद इसीलिए अब अब चीन 2020 में भारत को लद्दाख के गलवान घाटी में रोड बनाने से रोक रहा है। बता दें कि भूटान और चीन में हमेशा डोकलाम विवाद चलता रहता है। जिसमें भारत हमेशा भूटान का समर्थन करता है। वहीं, जब चीन 2017 में डोकलाम में रोड बनाना चाहता था, तब भारत और भूटान ने इसका जमकर विरोध किया। क्योंकि इससे चीन की सीमा मजबूत हो सकती थी और वह देशों को नुक्सान पहुंचा सकता था। इसलिए चीन अब भारत को रोड बनाने का विरोध सीमाओं के घुसपैठ के तरीके से कर रहा है। आपको बता दें कि डोकलाम एक ट्राईजंक्शन है, जहां भारत, भूटान और चीन की सीमाएं मिलती हैं।

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