नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। उत्तराखंड को देव भूमि कहे जाने के पीछे यह कारण बताया जाता है कि यहां कई देवी देवताओं का निवास स्थल है. मान्यताओं के अनुसार कहां जाता है कि उत्तराखंड देवताओं के लिए सबसे पवित्र स्थान है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव का ससुराल भी उत्तराखंड में स्थित है. इसके अलावा भोलेनाथ के सबसे प्रिय माह यानी सावन भी 6 जुलाई से शुरू हो चुका है. कहा जाता है कि उत्तराखंड में भगवान शिव के बहुत प्राचीन मंदिर मौजूद हैं. साथ ही उन सभी मंदिरों की मान्यताएं और महत्त्व अलग अलग हैं.
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केदारनाथ
केदारनाथ धाम भगवान शिव के नाम पर ही दर्ज है. यह धाम भोलेनाथ का सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी कहलाता है. केदारनाथ में भगवान शिव हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर स्थित है. कहा जाता है कि केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
बालेश्वर
इस मंदिर कि गिनती भी भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में होती है. मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी से ही इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है. कहते हैं कि इस मंदिर में भगवान शिव के सभी शिवलिंग मौजूद है.
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बैजनाथ
बौलनाथ मंदिर भी भगवान शिव का सबसे प्राचीन मंदिर है. यह गौतमी नदी के तट पर स्थित है. उत्तराखंड की कई लोक गाथाओं में बैजनाथ मंदिर का जिक्र आता है. मंदिर में आकर्षक के लिए नक्काशी बेहद खूबसूरत है.
रुद्रनाथ
मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव यह मंदिर सबसे प्रसिद्ध है. रुद्रनाथ मंदिर गढ़वाल के चमोली जिले में स्थित है. इसके अलावा इस मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है जबकि शिव के पूरे धड़ की पूजा पशुपतिनाथ मंदिर में की जाती है. जोकि नेपाल में स्थित है.