नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। भगवान शिव का सबसे पवित्र महीना यानी सावन का महीना शुरू हो गया है. कहा जाता है कि यह भोलेनाथ का सबसे प्रिय माह है. हर एक सोमवार भगवान शिव को अर्पित है. लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान शिव के मस्तक पर चन्द्र केसे सुशोभित हुए?
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सीधा संबंध
दरअसल भगवान शिव का सीधा संबंध सोमओवार से है और सोमवार का संबंध चन्द्र से होता है. आपको बता दें कि ‘सोम’ का अर्थ है ‘सौम्य’ और ‘सौम्य’ मतलब ‘चंद्र’, इसके अलावा सोम का एक अर्थ ‘शिव’ भी होता है. इसके अलावा कहा जाता है कि भगवान शिव और चन्द्र के बीच एक अनोखा रिश्ता भी है.
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चंद्र को मिला था क्षय रोग का श्राप
पौराणिक कथानुसार के अनुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ हुआ था. कहा जाता है कि दक्ष की 27 बेटियों में से रोहिणी बहुत सुंदर थी, जिसके कारण सुंदरता प्रेमी चंद्र का उनके प्रति अधिक स्नेह था, यह बात बाकी बहनों को अच्छी नहीं लगती थी. उन्होंने अपना कष्ट अपने पिता से कहा, जिसे सुनकर दक्ष का गुस्सा आ गया और उसके बाद उन्होंने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दे दिया.
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शिव ने क्यों किया चन्द्र को मस्तक पर धारण
श्राप के बाद चंद्र क्षय रोग से ग्रसित हो गए और उनकी शक्ति धीर-धीरे खत्म होने , उनकी इस हालत को देखकर नारद जी ने उन्हें मृत्युंजय भगवान आशुतोष की आराधना करने को कहा, और वो प्रभु की अराधना में जुट गए, और उन्हें भगवान शंकर को पुनर्जीवन का वरदान दे दिया और उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया, इसलिए कहा जाता है, कि जो लोग शारीरिक रुप से परेशान हों, उन्हें भगवान शिव की पूजा सोमवार को जरुर करनी चाहिए.
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