आरती कश्यप
परिचय
म्यांमा (पूर्व में बर्मा) एक दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश है, जिसे लेकर भारत के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और रिश्ते सदियों से जुड़े रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में म्यांमा की राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति में अत्यधिक अस्थिरता आई है। 2021 में म्यांमा में हुए सैन्य शासन के परिवर्तन ने पूरे देश को एक गहरी राजनीतिक और सामाजिक संकट में डाल दिया। इसके परिणामस्वरूप, कई विदेशी नागरिकों, विशेषकर भारतीय नागरिकों, को वहां फंसा हुआ महसूस हुआ। इस लेख में हम म्यांमा में फंसे भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी पर चर्चा करेंगे, जो भारतीय सरकार के एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मिशन का हिस्सा थी।
म्यांमा में राजनीतिक अस्थिरता और संकट
म्यांमा में राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत फरवरी 2021 में हुई, जब म्यांमा की सेना (टेटमाडाव) ने निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका और सत्ता पर कब्जा कर लिया। इस सैन्य तख्तापलट ने देश में अराजकता और हिंसा का माहौल बना दिया, जिसके कारण हजारों लोग अपनी जान की सलामती के लिए देश छोड़ने को मजबूर हो गए। म्यांमा के नागरिक संघर्ष और कड़ी सुरक्षा स्थिति के कारण विदेशी नागरिकों, विशेषकर भारतीय नागरिकों, के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई।
भारत और म्यांमा के बीच सागर (बंगाल की खाड़ी) से लेकर म्यांमा की सीमा तक हजारों किलोमीटर का साझा सीमा क्षेत्र है, और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। म्यांमा में भारतीयों की संख्या भी काफी अधिक थी, और देश में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और वापसी सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
म्यांमा में भारतीय नागरिकों के लिए संकट बढ़ता जा रहा था, खासकर तब जब म्यांमा की सैन्य सरकार द्वारा विभिन्न नागरिक स्वतंत्रताओं और अधिकारों पर कड़ी पाबंदियाँ लगाई गईं। भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने त्वरित कदम उठाए। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस संकट से निपटने के लिए एक समग्र योजना बनाई और भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी सुनिश्चित करने के लिए कई ऑपरेशन और मिशन चलाए।
1. “विष्णु” ऑपरेशन – भारतीय नागरिकों की त्वरित वापसी
भारत सरकार ने म्यांमा में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “विष्णु” नामक ऑपरेशन शुरू किया। यह ऑपरेशन विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास के द्वारा पूरी तरह से संचालित किया गया। भारतीय वायुसेना, समुद्री मार्ग, और सड़कों के माध्यम से नागरिकों को म्यांमा से भारत वापस लाया गया।
म्यांमा के विभिन्न शहरों, जैसे यांगून, मांडले, और नायपीडॉ में फंसे भारतीयों को पहचानने और उनके नामों की सूची तैयार करने के लिए भारतीय दूतावास ने तत्परता से काम किया। कई भारतीय नागरिकों के पास सुरक्षा संबंधी चिंताएँ थीं, और वे म्यांमा में आतंकवाद, हिंसा, और सैन्य शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण गंभीर खतरे में थे।
ऑपरेशन विष्णु के तहत, भारतीय नागरिकों को म्यांमा से भारत लाने के लिए भारतीय वायुसेना के विमान और भारतीय नौसेना के पोतों का उपयोग किया गया। यह एक जटिल मिशन था क्योंकि म्यांमा में अस्थिरता और सैन्य शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई थी।
2. हवाई और समुद्री मार्ग से वापसी
भारत सरकार ने म्यांमा से भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए हवाई और समुद्री मार्ग दोनों का उपयोग किया। भारतीय वायुसेना के विमानों के जरिए भारतीय नागरिकों को त्वरित रूप से भारत लाया गया। विशेष रूप से, यांगून और मांडले से उड़ानें भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए चलाई गईं। इसके अलावा, भारतीय नौसेना के पोतों को भी समुद्र मार्ग से भारतीय नागरिकों को लाने के लिए भेजा गया।
समुद्र के रास्ते में भारतीय नागरिकों को म्यांमा के बंदरगाहों से भारतीय पोतों पर चढ़ाया गया और उन्हें सुरक्षित रूप से भारत के तटीय क्षेत्रों में लाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय नौसेना और वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया, रणनीतिक योजना और कार्यशैली ने एक मॉडल पेश किया।
3. सुरक्षा और चिकित्सा सहायता
म्यांमा में भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय दूतावास ने विशेष सुरक्षा उपाय किए। सभी नागरिकों को चिकित्सा सहायता भी प्रदान की गई, खासकर उन नागरिकों को जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएँ थीं या जो मानसिक रूप से तनावग्रस्त थे। दूतावास के कर्मियों ने नागरिकों से संपर्क किया और उन्हें म्यांमा से बाहर निकलने के लिए जरूरी दस्तावेज और सहायता प्रदान की।
इसके अलावा, भारतीय नागरिकों को म्यांमा में सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय दूतावास और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय बनाए रखा गया। नागरिकों को लाने के लिए भारतीय अधिकारियों ने म्यांमा की सीमा पर तैनात भारतीय दूतावास कर्मचारियों के साथ मिलकर काम किया।
4. म्यांमा में भारतीय दूतावास का सक्रिय सहयोग
म्यांमा में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने फंसे हुए नागरिकों को राहत पहुँचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी। यह दूतावास म्यांमा में फंसे भारतीय नागरिकों को जरूरी सूचना और सहायता प्रदान करता रहा। इसके अलावा, दूतावास ने एक हेल्पलाइन भी बनाई, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी समस्याएँ और चिंताएँ दर्ज करा सकते थे। दूतावास के कर्मचारियों ने संकट के इस समय में अपनी पूरी ताकत से काम किया, ताकि भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
म्यांमा में फंसे भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी भारतीय कूटनीतिक मिशन की एक बड़ी सफलता साबित हुई। इस मिशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय सरकार और सुरक्षा बल किसी भी संकट में अपने नागरिकों की सुरक्षा और भलाई को सर्वोपरि मानते हैं। ऑपरेशन विष्णु के तहत म्यांमा से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी एक उल्लेखनीय कदम था, जिसे भारतीय सरकार की तत्परता, सहयोग, और संघर्ष के तौर पर देखा जा सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया ने यह भी दर्शाया कि भारतीय कूटनीति और सुरक्षा बलों की सफलता संकटों के समय में त्वरित और सटीक कार्रवाई करने में निहित है। यह मिशन केवल भारतीय नागरिकों के लिए एक आश्वासन था, बल्कि यह उन अन्य देशों के लिए भी एक आदर्श था जो भविष्य में ऐसे संकटों का सामना कर सकते हैं।
अंततः, म्यांमा से भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी ने भारतीय कूटनीतिक ताकत को एक नई दिशा दी और यह सिद्ध कर दिया कि भारत किसी भी संकट से निपटने में सक्षम है, चाहे वह कितना भी जटिल क्यों न हो।