नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। (Rahasya) यह तो हम सभी जानते हैं कि समुंद्र का पानी खारा होता है. लेकिन कहते हैं कि समुद्र का पानी शुरुआत से खारा नहीं था. पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक श्राप के कारण समुन्द्र का पानी खारा हुआ था. उससे पहले समुन्द्र का पानी दूध जैसा सफ़ेद और मीठा था. इसके पीछे जहां कई वैज्ञानिक कारण है तो इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं.
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शिव पुराण के अनुसार माता पार्वती ने शिव का पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, उनकी इसी तपस्या और लगन को देख तीन लोग भयभीत हो गए थे और इस समस्या का समाधान निकालने लगे. उसी समय समुन्द्र देवता पार्वती को देख मोहित हो गए. जैसे ही माता पार्वती की तपस्या समाप्त हुई समुन्द्र देवता ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. वह प्रस्ताव देख माता पार्वती ने उन्हें बताया कि मैं भगवान शिव की हो चुकी हूं.
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समुन्द्र देवता ने माता पार्वती से कहा कि उस भास्मधारी आदिवासी में क्या रखा है जो मेरे पास नहीं है. मेरा चरित्र दूध की तरह सफ़ेद है और मैं सभी मनुष्यों की प्यास बुझाता हूं. भगवान शिव के लिए भला बुरा सुन कर माता पार्वती को क्रोध आता है और वह समुन्द्र देवता को श्राप देती हैं कि जिस जल पर तुम इतना घमंड और अंहकार दिखा रहे हो वो खारा हो जाएगा. कोई भी मनुष्य तुम्हारा जल ग्रहण नहीं कर पाएगा.
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