नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। मंबई शहर का सिद्धीविनायक मंदिर भारत में नहीं पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. हर साल यहां गणपति बप्पा के दर्शन के लिए भारी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु और सैलानी का तांता लगा रहता है. इसके अलावा यह भक्तों की आस्था का केंद्र है. गणेश उत्सव की बात की जाए तो इस दौरान यहां बप्पा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. लेकिन ऐसा क्या कारण है जो यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है?
ये भी पढ़ें Rahasya : हिन्दू धर्म में जनेऊ धारण के पिछे क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण, जानिए
सिद्धिविनायक मंदिर, गणपति बप्पा का सबसे लोकप्रिय रूप है, जिसमें उनकी सूंड दाईं और मुडी होती है, कथाओं के अनुसार गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं. कहते हैं कि सिद्धिविनायक मन से मांगी गई भक्तों की मुराद अवश्य पूरी करते हैं.
ये भी पढ़ें Rahasya : भगवान कृष्ण ने क्यों धारण किया था मोरपंख मुकुट,जानिए
ऐसा कहा जाता है कि सिद्धिविनायक मंदिर की मूल संरचना पहले काफी छोटी थी. ईंट से बनी हुई थी और गुंबद आकर का शिखर था. बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण कर आकार को बढ़ाया गया.
ये भी पढ़ें Rahasya : किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद डॉक्टर्स क्यों नहीं करते रात में ‘POSTMORTEM’
जानकारी के लिए बता दें कि गणपति बप्पा के सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को हुए था. और इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी. कहा जाता है कि उस महिला के कोई संतान नहीं थी, उस महिला ने बप्पा के मंदिर के निर्माण के लिए मदद करने की इच्छा जताई थी. वह चाहती थी कि मंदिर में आकर भगवान के आर्शीवाद प्राप्त कर सबको संतान प्राप्ति हो.