नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। (Rahasya) किन्नर, जिनकी एक दुआ और आशीर्वाद के लिए हम लोग तरसते हैं. कहते हैं किन्नर जो दुआ करते हैं वो जरूर पूरी होती है, और हमारी खुशियां दोगुना हो जाती हैं.
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अगर बात करें इनकी ज़िन्दगी की तो वह आम लोगों की ज़िंदगी के मायने में बहुत अलग होती है. यह दुनिया जितनी अलग है, इस दुनिया के रीति रिवाज और संस्कार भी उतने ही अलग होते है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक किन्नर की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कैसे होता है.
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दरसअल, किन्नरों का अंतिम संस्कार को बाकी लोगों से छिपाकर किया जाता है. माना जाता है कि अगर अगर किसी किन्नर का अंतिम संस्कार को कोई आम इंसान देख ले तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा. वैसे तो किन्नर हिन्दू धर्म की कई रीति-रिवाजों को मानते हैं, लेकिन इनकी डेड बॉडी को जलाया नहीं जाता. इनकी बॉडी को दफनाया जाता है.
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कहते हैं (Rahasya) कि अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है. कहा जाता है इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है. इसके अलावा कहा जाता है कि अपने समुदाय में किसी की मौत होने के बाद किन्नर अगले एक हफ्ते तक खाना नहीं खाते.
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आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उनका समुदाय मौत का मातम नहीं मनाते, ऐसा इसलिए क्योंकि वह किन्नर की ज़िन्दगी से मुक्त हो जाते हैं.