नई दिल्ली/ दीक्षा शर्मा। (Rahasya) इस संसार में हर किसी को एक ना एक दिन मृत्यु का सामना करना पड़ता है. प्राचीन समय से ही सनातन धर्म में हम सुनते और देखते आ रहे हैं कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका शव को श्मशान ले जाते दौरान उनके सभी परिजन “राम नाम सत्य है” बोलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं शवयात्रा के दौरान ऐसा क्यों कहा जाता है?
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आपको बता दें, इस बात का उल्लेख महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने एक श्लोक के जरिए किया था.
‘अहन्यहनि भूतानि गच्छंति यमममन्दिरम्।
शेषा विभूतिमिच्छंति किमाश्चर्य मत: परम्।।’
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इसका अर्थ यह है कि,मृतक को श्मशान ले जाते समय सभी ‘राम नाम सत्य है’ कहते हैं परंतु अंतिम संस्कार करने के बाद घर लौटते ही सभी इस राम नाम को भूलकर फिर से मोह माया में लिप्त हो जाते हैं. उसके बाद लोग मृतक के पैसे, घर इत्यादि के बंटवारे को लेकर चिन्तित हो जाते हैं. और इसी सम्पत्ति को लेकर वे आपस में लड़ने-भिड़ने लगते हैं. धर्मराज युधिष्ठिर आगे कहते हैं कि, “नित्य ही प्राणी मरते हैं, लेकिन अन्त में परिजन सम्पत्ति को ही चाहते हैं इससे बढ़कर और क्या आश्चर्य होगा?”
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राम नाम सत्य है, इसे कहने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि साथ में साथ में चल रहे सभी परिजन, मित्रों को केवल यह समझाना होता है कि जिंदगी में और जिंदगी के बाद भी केवल राम नाम ही सत्य है बाकी सब व्यर्थ है.