इस फिल्म को देखने चप्पल निकाल कर जाते थे लोग, ऐसा होता था करिश्मा

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नई दिल्ली/अनिकेत राज। 70 का दशक हिंदी सिनेमा में ऐक्शन और मार-धाड़ वाली फिल्मों का दौर था. इसी दौरान अमिताभ बच्चन ‘एंग्री यंगमैन’ बनकर उभरे थे. उनकी फिल्में जैसे ज़ंजीर, शोले, ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की थी और लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थी. इसी दौर में एक फिल्म आयी थी ‘जय संतोषी मां’ जिसने सिनेमाघरों को मंदिरों में बदल दिया था और लोग हॉल में घुसने से पहले बाहर ही चप्पलें निकाल देते थे.

हम बात कर रहे हैं साल 1975 की जब इस फिल्म ने कुछ ऐसा करिश्मा दिखाया, जो आज तक कोई भी और फिल्म नहीं दिखा पाई है. इस फिल्म को देखने के दौरान दर्शक स्क्रीन पर फूलों और पैसों की बरसात करने लगते थे.

इस फिल्म में ऐक्ट्रेस अनीता गुहा ने संतोषी मां का किरदार निभाया था. जब भी सिनेमा स्क्रीन पर उनका कोई सीन आता तो लोग उनके आगे हाथ जोड़कर सिर झुका लिया करते थे. इस फिल्म में कनन कौशल ने सत्यवती और ऐक्टर आशीष मोहन ने बिरजू का किरदार निभाया था. इस फिल्म का बजट बहुत ही कम था और किसी को भी ये अंदाजा नहीं था कि यह फिल्म कभी इतिहास रचेगी. सिनेमाघरों में रिलीज होते ही फिल्म न सिर्फ ब्लॉकबस्टर हुई, बल्कि इसके स्टार्स-कनन कौशल, आशीष कुमार और अनीता गुहा रातोंरात लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए.

रिपोर्ट्स की माने तो, ‘जय संतोषी मां’ फिल्म का बजट सिर्फ 5 लाख रुपये था लेकिन इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस लगभग 100 गुना अधिक यानी करीब 5 करोड़ की कमाई की थी. इस फिल्म की अपार सफलता ने सभी को हैरान कर दिया था. रिलीज होने पर इस फिल्म को ऐसी ‘वर्ड ऑफ माउथ’ पब्लिसिटी मिली की सभी सिनेमाहॉल हाउसफुल चलने लगे.

जय संतोषी मां’ ने गांव से लेकर शहरों तक और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी के दिलों में जगह बनाई। उस जमाने के लोगों को आज भी इस फिल्म को याद करते हैं.

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