नई दिल्ली/दीक्षा शर्मा। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सभी देवी देवताओं में भगवान विष्णु को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. पुराणों में भगवान विष्णु के तो रूप का वर्णन किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान विष्णु का एक रूप बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल हृदय है और वही दूसरा रूप भगवान विष्णु को बहुत भयानक बताया गया है. जहां श्री हरी काल स्वरूप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हैं.
ये भी पढ़ें Rahasya : क्या आप जानते हैं भगवान गणेश ने क्यों रचाई थी दो शदियां, जानिए
‘नारायण’ नाम का रहस्य…
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने लिए भक्त उनकी हर तरह से पूजा अर्चना करते हैं. उसी के साथ भगवान विष्णु अपने भक्तों पर हर रूप और हर स्वरूप से कृपा बरसाते हैं और इसीलिए वो जगत के पालनहार कहलाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान विष्णु का नाम नारायण कैसा पड़ा?
ये भी पढ़ें क्या आप जानते हैं सीता स्वयंवर में भगवान राम द्वारा तोड़े गए “शिव धनुष” का रहस्य, पढ़िए
दरअसल, एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जल(पानी, नीर, नर) का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. इसलिए भगवान विष्णु भी जल में ही निवास करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि “नर” शब्द से उनका नारायण नाम पड़ा है. इसीलिए भगवान विष्णु के सभी भक्त उन्हें ‘नारायण’ नाम से बुलाते हैं.
ये भी पढ़ें तो इसलिए नहीं करनी चाहिए कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग की पूजा, जानिए धार्मिक कारण
“हरि” नाम का रहस्य…
अक्सर अपने भगवान विष्णु के लिए हरी शब्द का भी उपयोग किया होगा या सुना होगा. हरि की उत्पत्ति हर से हुई है. ऐसा कहा जाता है कि “हरि हरति पापानि” जिसका अर्थ है हरि भगवान हमारे जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और पापों को दूर करते हैं. इसीलिए भगवान विष्णु को हरि भी कहा जाता है.