Delhi Riots2020 एक किताब पर इतना बवाल क्यों, पढ़ें मुद्दे के तह तक जाने वाली रिपोर्ट

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नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। Delhi Riots 2020 The Untold Story (दिल्ली राइट्स 2020, द अनटोल्ड स्टोरी) बुक लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। इस बुक की लेखिका मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा हैं। दिल्ली राइट्स पर आधारित यह बुक ब्लूम्सबेरी () नामक एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान के द्वारा प्रकाशित की गई है। यह बुक 22 अगस्त को एक वर्चुअल इवेंट के जरिए लांच की जा रही थी। जिसमें इस किताब की लॉन्चिंग भाजपा राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव के हाथों की जानी थी। लेकिन आधे घंटे पहले ब्लूम्सबेरी ने इसका प्रकाशन वापस ले लिया। संस्था का कहना है कि इस किताब के प्रकाशन को लेकर सोशल मीडिया पर काफी दबाव डाला जा रहा है। जिसके कारण उन्होंने अमेज़न एप से इस किताब का लिंक हटा दिया। लगातार तीन दिन से “दिल्ली राइट्स 2020” पर सोशल मीडिया में काफी बहस और तनातनी देखने को मिल रही है। तो आइए जानते हैं की आखिर क्या कारण है जिसके वजह से कुछ लोग इस बुक को प्रकाशित होने देना नहीं चाहते?

लगातार सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही बुक

22 अगस्त को वर्चुअल लॉन्चिंग के दौरान ब्लूम्सबेरी की तरफ से इस बुक का अमेज़न से लिंक हटा दिया गया। जब लेखकों ने इस पर आपत्ति जताई तब ब्लूम्सबरी ने कहा कि उस पर बाहरी दबाव बनाया गया है। इस किताब पर सब अपनी अपनी राय रख रहे हैं। कोई इस किताब पर हिंसा भड़काने और किसी विशेष समुदाय पर टिप्पणी करने का आरोप लगा रहा है, तो कोई इसके पक्ष में फील्ड रिपोर्टिंग, इंटरव्यूज, रिसर्च और तथ्यों पर आधारित लिखी हुए इस बुक को साबित कर रहा है। वहीं इस बुक की लेखिका मोनिका अरोड़ा का कहना है कि “हमारा ड्राफ्ट संस्था की कानूनी प्रक्रिया को पार करके जनता के सामने एक किताब के रूप में आया है। इसमें समाज को भड़काने व किसी विशेष समुदाय पर कोई टिप्पणी करने जैसी चीज नहीं लिखी गई हैं। ब्रूम्सबेरी संस्था ने अपनी लीगल टीम के साथ इसका परीक्षण किया है। जिसमें ये किताब खरी उतरी है। तभी ब्लूम्सबेरी ने इस किताब को प्रकाशित करने का फैसला लिया। साथ ही उनकी ही तरफ से दी गई ड्राफ्ट की 100 कॉपियों को हमारी टीम ने देश भर में वितरित किया। जिसके बाद देश भर से सरहाना और आलोचना दोनों मिली हैं। और हमें इन दोनों चीजों का सहृदय स्वागत है। तीनों महिला लेखिकाओं का कहना है कि अभी किताबें प्रकाशित भी नहीं हुई पहले ही आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया। पहले किताब को प्रकाशित होना चाहिए। उसके बाद आरोप प्रत्यारोप का खेल तो प्रक्रिया का हिस्सा है। उसका हम हमेशा से स्वागत करते हैं।”

इस किताब के जो पक्ष में नहीं है

इस किताब के प्रकाशन से पहले ही देश-विदेश के कई एक्टिविस्ट्स नेता और वामपंथी विचारधारा के लोगों ने इस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। ट्विटर पर लगातार दिल्ली राइट्स 2020 को बैन कराने के लिए ब्लूमस्बेरी पर दबाव बनाया गया। लगातार ट्वीट पर ट्वीट कर ब्लूम्सबेरी से इस बुक के प्रकाशन को रोकने की मांग की गई। इस किताब के विरोध में खड़े लोगों का कहना है कि यह बुक नफरत और किसी विशेष समुदाय पर टिप्पणी है।
इस किताब के विरोध में एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने ट्वीट में लिखा कि “प्रकाशक ब्लूम्सबैरी एक पुस्तक जारी कर रहे हैं, जो दिल्ली दंगों के लिए अल्पसंख्यक को दोष देना चाहती है। ऑफ इंडिया के नूपुर शर्मा और भाजपा के नेता कपिल मिश्रा जो कि एक अपराधी हैं वह इस वर्चुअल रैली में सम्मानित अतिथि हैं। क्या एक पब्लिशिंग हाउस खुलकर संप्रदायिकता के एजेंडे को आगे नहीं बढ़ा रहा?”

Delhi Riots2020 Why so much ruckus on a book


तो वहीं स्वरा भास्कर ने अपने ट्वीट में लिखा कि ” दूसरे मंचो की तरह इसे भी अच्छे से पता है कि नफरत फैलाने, नकली समाचार फैलाने वाले करने वाले विवेक अग्निहोत्री और ब्लूम्सबैरी इसमें शामिल है। भारत में आपकी शाखा क्यों बड़े-बड़े दंगों और दंगाइयों को मंच दे रही है।”
वहीं पत्रकार राना अय्यूब ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि मंच, न्यायपालिका, पुलिस के दल को उत्पीड़ित के रूप में चिह्नित करने का फैसला किया है। इस किताब ने पीड़ितों को दिल्ली के मामले में आरोपी बना दिया है। एक पुस्तक जारी करना जो इस नफरत को मान्य करता है, कार्यक्रम को सक्षम और समर्थन कर रहा है। उसको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बिल्कुल नहीं कहा जा सकता।

कौन और किस लिए इस बुक के पक्ष में हैं

इतना सारे विरोधियों के बाद भी इस किताब के पक्ष में कई लोग हैं। बड़े-बड़े लेखक, नेता, एक्टिविस्ट, एक्टर और डायरेक्टर इस बुक के प्रकाशन को समर्थन दे रहे हैं। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ट्वीट करते हैं कि “यह पुस्तक अब सार्वजनिक है। भारत और दुनिया इसे पढ़ेगी और हिंदू विरोधी दिल्ली के दंगों का सच जान जाएगी। कोई घृणा अभियान और प्रचार तंत्र सच्चाई को बाहर आने से नहीं रोक सकता।
इसी के साथ संबित पात्रा ने भी ट्वीट किया कि “उन्होंने किताब को खिलने से पहले दफनाने की कोशिश की।”
वहीं मशहूर डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि “ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या है।”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई लोगों ने किया समर्थन

अनुराग कश्यप ने अपने ट्वीट में लिखा कि ” किसी किताब को बैन करना जिससे मैं सहमत नहीं हूं यह ऐसा ही है जैसे उस किताब को बैन करना जिससे मैं सहमत हूं। एक फिल्म को बैन करना जो मुझे ऑफेंड करती है यह ऐसा ही है जैसे एक फिल्म को बैन करना जिससे मैंने बनाया है और जो किसी दूसरे को ऑफेंड करती है। किसी भी चीज को बैन करना फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को दबाना है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि इसमें झूठ है या सच। लोकतंत्र विचारों और विरोधी विचारों को स्थान देता है। लड़ाई का तरीका असहमति और शिक्षा है। यह हमेशा सच्चाई के लिए संघर्ष करेगा। लेकिन एक स्वस्थ लोकतंत्र में बैन करना या वापस लेना समाधान नहीं है। मैं इतना ही कहना चाहता हूं।”
वहीं बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर अभिनव सिंहा ने भी ट्वीट किया कि ” सभी पुस्तकें प्रकाशित होनी चाहिए। आपको सभी पुस्तकों से सहमत होने की आवश्यकता नहीं है”

ब्लूम्सबेरी ने अपने बयान में यह कहा

ब्लूम्सबेरी ने इन सभी मामलों में कहा कि किताब की लॉन्चिंग सितंबर महीने में निर्धारित हुई थी‌। लेकिन लेखिकाओं ने इस किताब को अगस्त महीने में ही लांच करना चाहा। इसी के साथ इस लॉन्चिंग समारोह में कई नेता भी सम्मिलित होने थे। जिसकी ब्लूम्सबेरी संस्था कभी अनुमति नहीं देता। इसीलिए ब्लूम्सबेरी ने अमेजॉन से लिंक हटा दिया। इसी के चलते सोशल मीडिया पर भी देश-विदेश से इस किताब के विरोध में कई ट्वीट्स सामने आया जिसके दबाव में आकर ब्लू वैली ने लिंक हटा दिया, ऐसा कहना किताब की लेखिकाओं का है। दिल्ली राइट्स 2020 की लेखिका मोनिका अरोड़ा का कहना है कि ब्लूम्सबैरी संस्था का व्यवहार लेखकों के प्रति निंदनीय है।

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