गुलाबो सिताबो के रिलीज के बाद आयुष्मान खुराना ने साझा किया इमोशनल पोस्ट

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नई दिल्ली/काजल गुप्ता। बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो सिताबो का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लंबे इंतजार के बाद आज यह फिल्म अमेज़न प्राइम पर रिलीज हो गई है. इस फिल्म को लेकर फैंस काफी एक्साइटेड थे. इसके पीछे के दो कारण है. पहला आयुष्मान खुराना और अमिताभ बच्चन की जोड़ी पहली बार किसी फिल्म में नजर आने वाली है और दूसरा यह बड़ी फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज ना होकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है. फिल्म के रिलीज होने के बाद आयुष्मान खुराना ने अपने ऑफिशल इंस्टाग्राम अकाउंट से एक भावुक कर देने वाला पोस्ट शेयर किया है. आयुष्मान खुराना ने गुलाबो सिताबो फिल्म की शूटिंग के दौरान की अपनी और अमिताभ बच्चन की एक तस्वीर शेयर की है और भावुक कर देने वाला एक्सपीरियंस शेयर किया है.

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जब भी हमारे देश में कोई नौजवान अभिनय के क्षेत्र में कदम रखना चाहता है तो उसका ध्येय होता है अमिताभ बच्चन। मेरी आख़िरी फ़िल्म में एक dialogue था कि बच्चन बनते नहीं है, बच्चन तो बस होते हैं। जब मैंने बचपन में चंडीगढ़ के नीलम सिनमा में “हम” देखी थी और बढ़े से बच्चन को बढ़े से पर्दे पर देखा था तो शरीर में ऐसी ऊर्जा उत्पन्न हुई जिसने मुझे अभिनेता बनने पर मजबूर कर दिया। मेरा पहला tv शूट मुकेश मिल्ज़ में हुआ था और यही वो जगह थी जहां जुम्मा चुम्मा दे दे शूट हुआ था। उस दिन मुझे I have arrived वाली feeling आ गयी थी। अगर तब यह हाल था तो आज आप सोच सकते होंगे मैं किस अनुभूति से गुज़र रहा होऊँगा। गुलाबो सिताबो में मेरे सामने बतौर ‘सह’ कलाकार यह हस्ती खड़ी थी और किरदारों की प्रवृति ऐसी थी की हमें एक दूसरे को बहुत ‘सहना’ पड़ा। वैसे असल में मेरी क्या मजाल की मैं उनके सामने कुछ बोल पाऊँ। इस विसमयकारी अनुभव के लिए मैं शूजित दा का धन्यवाद करना चाहूँगा की उन्होंने मुझे अमिताभ बच्चन जैसे महानायक के साथ एक फ़्रेम में दिखाया है। दादा आप मेरे गुरू हैं, आपका हाथ थाम कर यहाँ तक पहुँचा हूँ। “सौ जन्म क़ुर्बान यह जन्म पाने के लिए, ज़िंदगी ने दिए मौक़े हज़ार हुनर दिखाने के लिए।” -आयुष्मान 🙏🏻 Catch #GiboSiboOnPrime today!

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आयुष्मान खुराना ने लिखा- जब भी हमारे देश में कोई नौजवान अभिनय के क्षेत्र में कदम रखना चाहता है तो उसका ध्येय होता है अमिताभ बच्चन. मेरी आखिरी फिल्म में एक डायलॉग था कि “बच्चन बनते नहीं है, बच्चन तो बस होते हैं”. जब मैंने बचपन में चंडीगढ़ के नीलम सिनेमा में ‘हम’ देखी थी और बड़े से बचपन को बड़े से पर्दे पर देखा था तो शरीर में ऐसी ऊर्जा उत्पन्न हुई जिसने मुझे अभिनेता बनने पर मजबूर कर दिया। मेरा पहला टीवी शूट मुकेश मिल्स में हुआ था और यही वह जगह है जहां जुम्मा चुम्मा दे दे शूट हुआ था. उस दिन मुझे i have arrived वाली फीलिंग आ गई थी. अगर तब यह हाल था तो आज आप सोच सकते होंगे मैं किस अनुभूति से गुजर रहा होऊंगा. गुलाबो सिताबो में मेरे सामने बतौर ‘सह’ कलाकार यह हस्ती खड़ी थी और किरदारों की प्रवृत्ति ऐसी थी कि हमें एक दूसरे को बहुत ‘सहना’ पड़ा. वैसे असल में मेरी क्या मजाल कि मैं उनके सामने कुछ बोल पाऊं. इस विसमयकारी अनुभव के लिए मैं सुजीत दा का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे अमिताभ बच्चन जैसे महानायक के साथ एक फ्रेम में दिखाया है. दादा आप मेरे गुरु हैं, आपका हाथ थाम कर यहां तक पहुंचा हूं “सौ जन्म कुर्बान यह जन्म पाने के लिए, जिंदगी ने दिए मौके हजार हुनर दिखाने के लिए” -आयुष्मान

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