भारत और चीन के विवाद में अमेरिका आया सामने, इसमें अमेरिका की चाल क्या है समझिए

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नई दिल्ली/आर्ची तिवारी। दो हफ्तों से लगातार ‘ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल ‘ (LAC) में भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल बढ़ता जा रहा है, चीन लगातार सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है, वहीं भारत भी अपने पूरे सैन्य बल के साथ सीमा पर डट कर खड़ा है, इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ” हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तैयार है, मध्यस्थता करने में सक्षम है और अपने उग्र सीमा विवाद को मध्यस्थता करने में सक्षम बनाता है। धन्यवाद! ” अब अमेरिका दोनों देशों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। इससेे पहले भी अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच में चल रही तनातनी के चलते यह प्रस्ताव रखा था पर भारत ने उस मसले को ‘आंतरिक मामला ‘ कह कर मना कर दिया था।

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भारत चीन सीमा पर विवाद क्या है

भारत द्वारा सड़क निर्माण पर चीन आपत्ति जता रहा है क्योंकि सड़क निर्माण का कार्य लद्दाख में अक्साई चीन की गलवां घाटी में हो रहा था जिसके विरोध में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प भी हुई, उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए. फिलहाल अभी सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया गया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘ झाओ लिजिआन ‘ ने कहा कि चीन सीमा से संबंधित मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट रखता है. वहीं भारत ने बीजिंग के दावों की कड़ी निन्दा की क्योंकि उसके मुताबिक भारत चीन की सीमा में घुसपैठ कर रहा है. वहीं भारत ने चीन पर सामान्य गश्त में बाधा डालने का आरोप लगाया है.

अमेरिका के राष्ट्रपति ने क्यों मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा

कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते अमेरिका और चीन के संबंधों में तल्खी बनी हुई है. इसी के चलते अमेरिका भारत और चीन के इस तनाव को दुनिया के सामने लाना चाहता है, जिसमें चीन को केंद्र बनाकर यह दिखाना चाहता है कि जो देश विश्व में सबसे शक्तिशाली बनाना चाहता है वो अपना साधारण सीमा विवाद नहीं सुलझा पा रहा है और अधिकतर देशों से उसके संबंधों में भी खटास सी है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह एक राजनीतिक दांव खेला है जिसका भारत से कोई संबंध नहीं है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में इस मामले पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में मंत्रियों के साथ चर्चा की. उस बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, अजीत डोभाल जैसे कई मंत्री और सहलाकर शामिल हुए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक अहम बैठक की और अहम फैसले लिए. इस मुद्दे पर रविशंकर प्रसाद ने भी अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि ” मोदी के भारत पर कोई आंख उठा कर भी नहीं देख सकता। “

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