Wednesday, March 12, 2025
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आत्मनिर्भर भारत योजना पर प्रगति

आरती कश्यप

परिचय

आत्मनिर्भर भारत अभियान (Self-Reliant India Campaign) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 मई 2020 को घोषित एक व्यापक आर्थिक और औद्योगिक सुधार योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। इस योजना के अंतर्गत पाँच स्तंभों – अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना, सिस्टम, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग – पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इस लेख में, आत्मनिर्भर भारत योजना की अब तक की प्रगति, उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत योजना की प्रमुख विशेषताएँ
  1. स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा – भारतीय उत्पादों के निर्माण और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की गई हैं।
  2. MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) का विकास – छोटे और मध्यम उद्योगों को वित्तीय सहायता, आसान ऋण और अन्य लाभ प्रदान किए गए हैं।
  3. विकासशील कृषि क्षेत्र – किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं।
  4. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन – डिजिटल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए स्टार्टअप्स और तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा दिया गया है।
  5. स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्र में सुधार – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर विशेष ध्यान दिया गया है।
योजना के अंतर्गत प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति

1. विनिर्माण और औद्योगिक विकास

  • मेक इन इंडिया को बढ़ावा – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और अधिक प्रभावी बनाया गया।
  • PLI योजना (Production Linked Incentive) – विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना शुरू की गई, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और अन्य क्षेत्रों को शामिल किया गया।
  • सेमीकंडक्टर उत्पादन – सरकार ने भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन का हब बनाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश किए हैं।

2. कृषि और ग्रामीण विकास

  • कृषि सुधार कानून – किसानों को अधिक स्वतंत्रता देने के लिए कृषि कानून लागू किए गए, हालांकि बाद में उन्हें वापस ले लिया गया।
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना – किसानों को वित्तीय सहायता दी गई।
  • एग्रीटेक स्टार्टअप्स को समर्थन – कृषि में तकनीकी नवाचार और डिजिटल समाधान को प्रोत्साहित किया गया।

3. MSME और स्टार्टअप इकोसिस्टम

  • MSME के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) – छोटे और मध्यम उद्योगों को वित्तीय सहायता दी गई।
  • स्टार्टअप इंडिया अभियान – नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए नीतियाँ बनाई गईं।
  • खादी और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन – ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के तहत स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दिया गया।

4. स्वास्थ्य और फार्मा सेक्टर में आत्मनिर्भरता

  • कोविड-19 वैक्सीन निर्माण – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत ने कोवैक्सिन और कोविशील्ड जैसी स्वदेशी वैक्सीन विकसित कीं।
  • फार्मा क्षेत्र में निवेश – API (Active Pharmaceutical Ingredients) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया गया।
  • आयुष्मान भारत योजना – हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए।

5. डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भरता

  • 5G और टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार – भारत में 5G नेटवर्क के विकास को बढ़ावा दिया गया।
  • डिजिटल भुगतान और UPI को बढ़ावा – डिजिटल भुगतान को आसान बनाने के लिए कई सुविधाएँ शुरू की गईं।
  • आईटी सेक्टर और स्टार्टअप्स – भारत को तकनीकी नवाचार का केंद्र बनाने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन दिए गए।
आत्मनिर्भर भारत योजना की चुनौतियाँ

हालांकि इस योजना ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  1. आर्थिक मंदी और वैश्विक आपूर्ति शृंखला – कोविड-19 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने में कठिनाइयाँ आईं।
  2. MSME के लिए वित्तीय चुनौतियाँ – छोटे उद्योगों को क्रेडिट और वित्तीय सहायता की जरूरत है।
  3. तकनीकी आत्मनिर्भरता में कमी – भारत अभी भी उच्च तकनीक वाले उत्पादों के लिए अन्य देशों पर निर्भर है।
  4. कृषि सुधारों की असफलता – कुछ सुधारों को वापस लेने के कारण कृषि क्षेत्र में अनिश्चितता बनी हुई है।

भविष्य की संभावनाएँ और समाधान

  1. तकनीकी नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान – भारत को अनुसंधान और विकास (R&D) में अधिक निवेश करना चाहिए।
  2. स्वदेशी विनिर्माण को और अधिक बढ़ावा – भारत को अधिक उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करनी होंगी।
  3. कृषि क्षेत्र में नवाचार – एग्रीटेक स्टार्टअप्स और आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  4. MSME के लिए नई वित्तीय योजनाएँ – छोटे उद्योगों के लिए अधिक सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
  5. वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की पहुँच – आत्मनिर्भर भारत अभियान को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नीतियाँ बनानी होंगी।
निष्कर्ष

आत्मनिर्भर भारत योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अब तक की प्रगति ने भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योगों को मजबूत किया है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन सही नीतियों और योजनाओं के साथ भारत एक वैश्विक विनिर्माण और नवाचार केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। आत्मनिर्भर भारत अभियान न केवल भारत के विकास में मदद करेगा बल्कि देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी आगे ले जाएगा।

 

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